2/15/2008

अलविदा के बाद : रवीन्द्र भट्ठल

तेरे जाने के पहले, सूरज उदास भी होता था
सूरज अस्त भी होता था
हर रोज़ रात सरों पर छत्र करती थी
सितारों की फुलकारी,
हवा गाती थी
धूप नृत्य करती थी.
अँधेरा अपने लम्बे सुर में मस्त था
हँसी की कूल थी, बोलों की बबूल थी
मुकद्दरों का साथ था,
चलनें की ज़ंजीर थी
उम्र बेफ़िक्र विचारों की फ़कीर थी

तेरे जाने से पहले ,दूध जैसा,
मोह जैसा सब कुछ था
और अलविदा के बाद............

{ओ-पंखुरी ! पंजाबी की श्रेष्ट कविताओं, से }