10/13/2005

आज फिर शुरू हुआ : रघुवीर सहाय

आज फिर शुरू हुआ जीवन
आज मैंने एक छोटी-सी सरल-सी कविता पढ़ी
आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा

जी भर आज मैंने शीतल जल से स्नान किया

आज एक छोटी-सी बच्ची आयी,किलक मेरे कन्धे चढ़ी
आज मैंने आदि से अन्त तक पूरा गान किया

आज फिर जीवन शुरू हुआ।