उदास वक़्तों में भी, जुगनू लौ करते हैं
सितारे टिमटिमाते हैं
और कवि कविता लिखते हैं
उदास वक़्तों में भी
घास के तृण उगते हैं
पक्षी गाते और फूल खिलते हैं
उदास समय में भी
लोग सपने लेते हैं
दरिया बहते हैं और सूर्य उदय होता है
’ओ पंखुरी’ से
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