1/14/2008

जो चलते हैं : नवतेज भारती


यदि मैं चलता चलता रुक जाऊं
तब मेरे पांव ,उनको दे देना, जो चलते हैं
आंखे उनको, जो देखते हैं
दिल उनको, जो प्यार करते हैं.



’पंजाबी की श्रेष्ट प्रेम-कविताएं’ से