5/25/2007

आशी: - त्रिलोचन

पृथ्वी से
दूब की कलाएँ लो
चार

ऊषा से
हल्दिया तिलक

लो

और
अपनें हाथों में
अक्षत लो

पृथ्वी आकाश
जहाँ कहीं
तुम्हें जाना हो
बढ़ो
बढ़ो

('अरधान' से )
त्रिलोचन पर एक लेख